क्या आप जानते हैं भगवान शिव से जुड़ी ये 10 गुप्त बातें

न आदि और न अंत है उसका, वो सबका, न इनका, न उनका, वही शून्य है वही इकाय, जिसके भीतर बसा शिवाय। वास्तव में भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। पुराणों में उन्हें सृष्टि का जन्मदाता भी माना जाता है। वो देवों के देव हैं इसीलिए महादेव कहलाते हैं। कभी रुद्र तो कभी भोलेनाथ बन जाते हैं। जितने रहस्यमयी उनके रूप हैं उतनी ही रहस्यमयी उनकी बातें। आइए जानते हैं भगवान शिव से जुड़ी कुछ गुप्त बातें –


1 – शिव की तीसरी आंख और प्रलय – भगवान शिव का एक नाम त्रिलोचन भी है। यानि कि तीन आंखों वाला। वेदों ने शिव के तीसरे नेत्र को प्रलय की संज्ञा दी है। कहते हैं कि अगर उनकी तीसरी आंख खुल गई तो ये दुनिया भस्म हो जाएगी। वहीं दूसरी तरफ शिव की तीसरी आंख ज्ञान चक्षु है जिसके खुलते ही काम (वासना) जलकर भस्म हो जाते हैं।


2 – शिव के नृत्य का रहस्य – बहुत से लोग नटराज की मूर्ति की असलियत नहीं जानते हैं लेकिन आपने अकसर इसे क्लासिकल डांसर्स के घर या क्लास रूम में रखा हुआ जरूर देखा होगा। दरअसल, ये रूप शिव के नृत्य मुद्रा को दिखाता है। हालांकि इस नृत्य के भी दो रूप है। एक उनके क्रोध का प्रलंयकारी रौद्र तांडव रूप को दर्शाता है, तो वही दूसरा आनंद प्रदान करने वाले तांडव को। इसीलिए रौद्र तांडव करने वाले शिव रूद्र कहे जाते हैं, आनंद ताडंव करने वाले नटराज स्वरूप में पूजे जाते हैं।



 3 – शिव ने दिया था ब्रह्मा को श्राप – एक कथा के अनुसार सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा अपनी पुत्री पर ही मोहित हो गए थे, ये जानकर शिव के क्रोध का ठिकाना नहीं रहा और उन्होंने ब्रह्मा को श्राप दे दिया। कहा- ‘आपने अपनी पुत्री के विषय में ऐसी बात कहकर पिता- पुत्री के रिश्ते का अपमान किया है। इसलिए आप पूजने के योग्य नहीं हैं। आने वाले समय में सभी देवी- देवताओं को पूजा जाएगा लेकिन आपको नहीं’। यही कारण है कि ब्रह्मा को पूजा नहीं जाता।

4 – सावन में अपने ससुराल आते हैं शिव – सावन और शिव का संबंध इतना खास इसलिए माना जाता है कि भगवान शिव शंकर सावन के महीने में धरती पर अवतार लेकर अपने ससुराल गए थे। जहां उनका स्वागत भी बड़े अच्छे से जल को अर्घ्य देकर किया गया था। वहीं कुछ मान्यताओं में यह भी माना जाता है कि सावन के इस विशेष महीने में भगवान भोलेनाथ अब भी अपने ससुराल आते हैं।
5 – श्रीकृष्ण और शिव जी के बीच हुआ था युद्ध – कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने बाणासुर का विरोध करने के लिए भगवान शिव से युद्ध किया था। उस दौरान शिव जी ने ‘माहेश्वर ज्वर’ को छोड़ा और उसके विरोध में श्रीकृष्ण ‘वैष्णव ज्वर’ का उपयोग कर दुनिया का पहला जीवाणु युद्ध लड़ा था।
6 – भगवान शिव और भस्म – शिव के शरीर पर भस्म लगी होती है। शिवलिंग का अभिषेक भी भस्म से किया जाता है। भस्म का लेप यह दर्शाता है कि यह संसार नश्वर है और सबका अंत निश्चित है जिसे कोई नहीं बदल सकता।
7 – भगवान शिव के 2 नहीं 6 पुत्र हैं – ज्यादातर लोगों को भगवान शिव के दो पुत्रों के बारे में ही पता है लेकिन उनके छह पुत्र हैं – गणेश, कार्तिकेय, सुकेश, जलंधर, अयप्पा और भूमा।


8 – भगवान शिव और 12 ज्‍योतिर्लिंग – शिव पुराण के अनुसार प्राचीनकाल में आकाश से ज्‍योति पिंड पृथ्‍वी पर गिरे और उनसे थोड़ी देर के लिए प्रकाश फैल गया। इस तरह के अनेक उल्का पिंड आकाश से धरती पर गिरे थे। भारत में गिरे अनेक पिंडों में से प्रमुख बारह पिंड को ही ज्‍योतिर्लिंग में शामिल किया गया। जिनके नाम हैं सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ॐकारेश्वर, वैद्यनाथ, भीमशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथजी, त्र्यम्बकेश्वर, केदारनाथ, घृष्णेश्वर।

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