राजस्थान यूँ तो प्राचीन बावड़ीयो, हवेलियों, किलों का राज्य है . जिनका अपना अलग ही भवशाली इतिहास है और भारत की पहचान भी है.वर्तमान में राजस्थान भारत का सबसे बडे़ राज्य का दर्जा लिए हुए है, जहाँ आपको पहाड़ों, रेगिस्तान, जंगल, नदी, झरनों का आंनद मिलेगा. आज हम आपको राजस्थान की ही नहीं बल्कि भारत की सबसे बड़ी,गहरी और सबसे सुंदर बावड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं जो राजस्थान के आभानेरी क्षेत्र में आती है. जिसका नाम है चांद बावड़ी. लगभग तेरह सीढ़ी गहरी यह बावड़ी देखने में एक अजूबा ही लगती है जो अपने आप में बहुत खूबसूरत और आकर्षक दिखाई पड़ती है. इसकी गहराई में एक विशाल कुंड बना हुआ है जो पानी से भरा रहता है और यह चीज यह दर्शाती है कि प्राचीन काल में जब इनको बनवाया गया होगा तो उस समय राजा या शासक जल प्रबंधन का कितना ध्यान रखते होंगे.

आपके दिमाग में एक बात और घूम रही होगी कि पूरे भारत में सबसे ज्यादा बावड़ीयां राजस्थान में ही क्यूँ है तो इसका जवाब हम आपको दे देते हैं.
राजस्थान उस जमाने में सूखा प्रदेश रहा करता था. इसी समस्या से निपटने के लिए उस समय के राजा ,कुंवर शासकों ने अपने अपने क्षेत्र राज्य में बावड़ीयो का निर्माण करवाया था.
अब बात करते हैं चांद बावड़ी की, चांद बावड़ी का निर्माण निकुंम्भ वंश के राजा चंद्रा ने 7 से 8 वीं शताब्दी के मध्य करवाया था, इन्हीं के नाम पर इस बावड़ी का नाम चांद बावड़ी रखा गया था. आभानेरी को बसाने वाले राजा चंद्रा ही थे. इस बावड़ी के चारों तरफ उपर से नीचे त्रिकोण रूप में सिढ़िया बनी हुई है जो अदभुत तरीके से बनाई गई है, जिनसे आप इसके नीचे कुंड तक जा सकते हो, हालांकि ASI ने पर्यटकों के लिए अंदर जाना बंद कर रखा है. सीढ़ियों को इस तरह बनाया गया है जिससे अगर आप एक तल नीचे उतरने के लिए जिस सीढ़ी का उपयोग करोगे तो वही दूसरे तल पर उतरने के लिए आपको दूसरी सीढ़ी का ही सहारा लेना पड़ेगा और यही चीज इसको अजूबा बनाती है. और यही कलात्मकता इन सीढ़ियों की खूबसूरती बढ़ा देती हैं.

बावड़ी के उपरी और मध्य तल पर कुछ कमरे जिन्हें स्नानागार भी कह सकते हैं बने हुए हैं जो शायद स्त्रीयों के स्नान के काम आतें होंगे. हमारी जानकारी के अनुसार बावड़ी में कुल 3500 सीढियाँ बनी हुई हैं जो 13 तलों को आपस में जोड़ती हैं. सीढ़ियों का त्रिकोण स्वरूप में बनाना एक रहस्य पैदा करता है.

जब आप चांद बावड़ी के चारों तरफ नजर घुमाएंगे तो आपको बावड़ी के चारों ओर पुरातन काल की हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियां दिखेंगी जो खुदाई के दौरान निकाली गई है ये पाषाण काल की नजर आती है, मुख्यतः भगवान शिव, पार्वती, विष्णु, जैन मूर्तियां, महिषासुरमर्दिनी, हर्षत माता, यक्ष की मूर्तियां, ब्रहमां, विष्णु, लक्ष्मी की मूर्तियां पहचान में आ सकेंगी. ये सभी मूर्ति खंड चारों ओर बने गलियारा में रखी हुई है जो चांद बावड़ी को और भी रोमांचक बनाती हैं.चांद बावड़ी का प्रवेश द्वार और निकास द्वारा एक ही है बावड़ी परिसर के बाहर सुंदर हरे भरे बगीचे बने हुए हैं.
हर्षत माता मंदिर : अब बात करते हैं हर्षत माता मंदिर के बारे में. आप जैसे ही चांद बावड़ी परिसर से बाहर निकलोगे तो आपको दूर से एक प्रचीन मंदिर दिखाई देगा जो एक ऊंचे टीले पर बना हुआ है, ये मंदिर बावड़ी से महज पांच मिनट की पैदल दूरी पर है. जब आप मंदिर पर पहुंचोगे तो आप मंदिर की दीवारों पर पत्थरों की नक्काशी आपका दिल जीत लेंगी. ये मंदिर हर्षत माता का मंदिर है जिनको हर्ष की माता भी बोला जाता है अर्थात खुशी देने वाली माँ. मंदिर के मुख्य गुम्बद के नीचे गर्भगृह में माता रानी विराजमान है.प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मंदिर का निर्माण भी राजा चंद्रा ने करवाया था.
आभानेरी आगरा जयपुर हाइवे से जुडा़ हुआ है, आप यहाँ सड़क मार्ग से आसानी से आ सकतें है.

नजदीकी देखने योग्य जगह हैं – मेहंदीपुर बालाजी, भानगढ़ का किला, जयपुर, सरिस्का टाइगर रिजर्व.