विदेश जाना चाहते हों तो जाएं इस वीजा मंदिर, एक साल में पहुंच जाएंगे विदेश


चिलकुर बालाजी मंदिर, हैदराबाद में वीजा मंदिर के नाम से फेमस है। यहां हजारों लोग रोज अपना वीजा क्लियर होने का दुआ मांगने आते हैं।
ट्रैवल डेस्क। चिलकुर बालाजी मंदिर।हैदराबाद से 30 किमी दूर। उस्मान सागर लेक पर बने इस मंदिर में एक खास वजह से श्रद्धालु आते है। और वो वजह है वीजा। दरअसल, यहां रोज हजारों भक्त भारत से बाहर जाने के लिए अपना वीजा क्लियर होने की दुआ मांगने आते हैं। लगभग 20 साल पहले कुछ कंप्यूटर प्रोफेशनल्स को इस मंदिर में देवी के दर्शन करने के बाद अमेरिका जाने का वीजा मिल गया था। तभी से इस मंदिर में लोगों का आना शुरू हो गया।


जानिएक्या है मान्यता.. – कहा जाता है कि चिलकुर बालाजी के दर्शन करने से जो लोग देश से बाहर जाना चाहते हैं उनका वीजा जल्दी बन जाता है। – मान्यता है कि अगर भक्त राजस्थान के तिरुपति बाला जी नहीं जा पाते तो उन्हें चिलकुर बाला जी के दर्शन से तिरुपति के बराबर फल मिलता है।


क्या कहा जाता है इस मंदिर के बारे में…    ये मंदिर वीजा मंदिर के नाम से फेमस है जहां खासकर यंग लोग आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भी IT प्रोफेशनल यहां दर्शन के लिए आया उसे एक साल के अंदर ही अमेरिका जाने का अवसर मिल गया। यहां आने वाले भक्त अपनी इच्छा मन में लेकर इस मंदिर के 11 चक्कर लगाते हैं। इसके बाद जब भी उनकी इच्छा पूरी हो जाती है, वो वापस आकर मंदिर के 108 चक्कर लगाते हैं। यहां लगभग 8 से 10 हजार स्टूडेंट्स आते हैं। एक सप्ताह मे लगभग 1 लाख भक्त यहां दर्शन करने आते हैं उनमें से ज्यादातर अमेरिका और दूसरी वेस्टर्न देशों के वीजा की इच्छा लेकर आते हैं। यहां आने वाले लोगों में सभी तरह के लोग आते हैं जो ठीक से चल नहीं सकते, बीमार, छोटे बच्चों के साथ महिलाएं।


5000 साल पुराना है ये मंदिर…    इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि एक बार एक बूढ़ा आदमी तिरुपति बालाजी के दर्शन करने निकला पर उम्र ज्यादा होने की वजह से नहीं जा पाया। एक रात इसके सपने में वेंकटेश्वर स्वामी आए और उसे चिलकुर में एक खास जगह पर खोदने को कहा। उस आदमी ने ऐसा ही किया। खोदते समय अचानक से उसे किसी के रोने की आवाज आई। खोदने पर एक पत्थर जैसा कुछ टकराया। जब उसे निकाला गया तो वो वेंकटेश्वर स्वामी की एक मूर्ति थी जिसके सिर में से खून निकल रहा था। वहीं ये बालाजी का मंदिर बना। ये मंदिर भगवान बालाजी और उनकी पत्नी श्री देवी और भू-देवी को समर्पित है। यह मंदिर 5000 साल पुराना है और हैदराबाद का सबसे पुराना मंदिर है।




नहीं लिया जाता है यहां दान    ये इंडिया के कुछ ही ऐसे मंदिरों में से एक है जिसमें किसी भी तरह का दान नहीं लिया जाता। आपको यहां कोई दान पेटी नहीं मिलेगी। इस मंदिर का रखरखाव और खर्च यहां आनें वाले भक्तों से ली गई पार्किंग फीस से किया जाता है। साथ ही मंदिर की एक मैगजीन चलती है जो 5 रूपए की होती है। मिनिस्टर ऑफ ओवरसीज इंडियन अफेयर्स (MOIA) के अनुसार, जनवरी 2015 में 5,42,10,052  इंडियन दूसरे देशों में थे इनमें से ज्यादातर लोग आंध्रप्रदेश के थे। इस मंदिर में आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के लोग रेग्युलर आते हैं। यहां कोई भी VIP नहीं होता।


कैसे पहुंचे    ऐड्रेस:  चिलकुर मंदिर, चंदा नगर, टेंपल रोड, हैदराबाद, तैलंगाना    समय: सुबह 5 बजे से रात 8 बजे तक।    By Air यहां का नजदीकी एयरपोर्ट हैदराबाद का बेगमपेट एयरपोर्ट (HYD) है जो मंदिर से 20 किमी दूर है। यहां सभी बड़ी सिटी से फ्लाइट्स आती हैं।    By Train यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन है लिंगमपल्ली जो  यहां से 14 किमी दूर है। यहां सभी बड़ी सिटी से ट्रेन आती हैं।    By Road यहां के लिए आंध्रप्रदेश की सभी सिटी से बस (APSRTC) मिलती हैं।

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मान्यताएं / शिवजी को क्यों प्रिय है सावन? 29 जुलाई को इस माह का दूसरा सोमवार

शिवलिंग पर 21 बिल्व पत्र चढ़ाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करे
अभी सावन चल रहा है और इसे शिवजी का प्रिय माह माना जाता है। इन दिनों में शिवजी की विशेष पूजा करने की परंपरा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार प्राचीन काल में माता सती ने अपने पिता दक्ष के हवन कुंड में अपनी देह त्यागी थी। इसके बाद माता ने पर्वत राज हिमालय के यहां पार्वती के रूप में जन्म लिया। माता पार्वती ने शिवजी को पुन: पाने के लिए सावन माह में ही कठोर तप किया था। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने पार्वती की मनोकामना पूरी की और उनसे विवाह किया था। सावन में ही भोलेनाथ ने पत्नी के रूप में पार्वती को प्राप्त किया था। इसी वजह से शिवजी को ये माह विशेष प्रिय माना जाता है।


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149 साल बाद लगेगा साल का दूसरा चंद्रग्रहण, बरतें ये सावधानियां


सूर्य ग्रहण के बाद अब 16 जुलाई को साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगने वाला है. इस बार यह चंद्रग्रहण गुरु पूर्णिमा के दिन 16 जुलाई को लगेगा. ऐसा दुर्लभ योग 149 साल बाद बन रहा है. इससे पहले साल 1870 में ऐसा दुर्लभ योग देखने को मिला था.
सूर्य ग्रहण के बाद अब 16 जुलाई को साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगने वाला है. इस बार यह चंद्रग्रहण गुरु पूर्णिमा के दिन 16 जुलाई को लगेगा. ऐसा दुर्लभ योग 149 साल बाद बन रहा है. इससे पहले साल 1870 में ऐसा दुर्लभ योग देखने को मिला था. खास बात यह है कि इस बार यह चंद्रग्रहण भारत में भी दिखाई देगा. यह ग्रहण पूरे तीन घंटे तक रहेगा. 16 जुलाई 2019 की रात करीब 1.30 बजे से ग्रहण शुरू हो जाएगा. इसका मोक्ष 17 जुलाई की सुबह करीब 4.30 बजे होगा.


हिन्दू धर्म में ग्रहण को काफी महत्व दिया जाता है. हिंदू पंचांग की मानें तो इस बार चंद्र ग्रहण आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में लग रहा है. यह चंद्रग्रहण खंडग्रास चंद्र ग्रहण कहा जा रहा है. ग्रहण को लेकर कई तरह की मान्यताएं भी प्रचलित हैं.
ग्रहण को लेकर प्रचलित कुछ नियम–
1-ग्रहण के दौरान अन्न जल ग्रहण नहीं करना चाहिेए.
2-चंद्र ग्रहण के दौरान स्नान नहीं करना चाहिए. ग्रहण खत्म होने के बाद या इससे पहले स्नान कर लें.
3-ग्रहण को कभी भी खुली आंख से नहीं देखना चाहिए. इसका आंखों पर बुरा असर पड़ता है.
4-ग्रहण के समय मंत्रो का जाप किया जा सकता है.
ग्रहण पर लाभ पाने के लिए करें ये उपाय-
1-यदि घर में कोई लंबे समय से बीमारी है तो ग्रहण के बाद घी और खीर से हवन आदि करने से से लाभ होता है.
2-चंद्रमा कमजोर स्थिति में है तो ‘ऊं चंद्राय नम:’ मंत्र का जाप करने से लाभ मिलेगा.
3-ग्रहण के दौरान प्राणायाम और व्यायाम करना चाहिए, सोच को सकारात्मक रखना चाहिए.
4-चंद्रग्रहण समाप्त होने के बाद घर में शुद्धता के लिए गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए.
5-स्नान के बाद भगवान की मूर्तियों को स्नान करा कर उनकी पूजा करें.
6-जरूरतमंद व्यक्ति और ब्राह्मणों को अनाज का दान करना चाहिए.

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नेपाल ने भारत की सब्जी लेने से किया इनकार, बॉर्डर पर फंसे सैकड़ों ट्रक

नई दिल्ली : नेपाल सरकार ने भारत से जाने वाली सब्जियों और फलों को खरीदने पर रोक लगा दी है. नेपाल की नई व्यवस्था के तहत काठमांडू में लैब टेस्ट के बाद ही भारतीय फलों और सब्जियों को एनओसी मिल सकेगी. एनओसी मिलने के बाद ही सब्जी की बिक्री की जा सकेगी. सब्जियों के लैब टेस्ट में खरा नहीं उतरने पर नेपाल के कस्टम विभाग ने सैकड़ों भारतीय ट्रकों को वापस कर दिया है.


औने-पौने दाम पर बेचे फल: भारत-नेपाल बॉर्डर पर सब्जियां और फल से लदे सैकड़ों ट्रक खड़े हुए हैं. कई ट्रक ड्राइवर औने-पौने दाम पर पर फलों और सब्जियों को बेच कर नेपाल से रवाना हुए हैं. महाराजगंज के जिलाधिकारी ने चिट्ठी लिखकर इस बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत कराया है.

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उत्तर प्रदेश का 75 घर वाला गांव जिसने देश को दिए 47 IAS अधिकारी



IAS और IPS की परीक्षा देश में सबसे कठिन मानी जाती है लेकिन अगर आपको कोई कहे कि एक छोटे से गांव जिसमें 75 घर हो लेकिन उस गांव से 47 IAS अधिकारी बन चुके है तो एक बार के लिए विश्वास करना मुश्किल है. लेकिन उत्तर प्रदेश में एक ऐसा गांव है जहाँ पर हर घर में IAS और PCS अधिकारी है.


उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के माधोपट्टी में एक ऐसा गांव है जहां से कई आईएएस और ऑफिसर हैं। इस गांव में महज 75 घर हैं, लेकिन यहां के 47 आईएएस अधिकारी विभिन्‍न विभागों में सेवा दे रहे हैं।
इतना ही नहीं माधोपट्टी की धरती पर पैदा हुए बच्‍चे इसरो, भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, विश्‍व बैंक के साथ-साथ कई देशों के राजदूत भी हैं। सिरकोनी विकासखंड का यह गांव देश में अपने अनोखे रिकॉर्ड को लेकर चर्चा में बना रहता है.
दरअसल, यहां प्रख्यात शायर रहे वामिक जौनपुर के पिता मुस्तफा हुसैन सन 1914 पीसीएस और 1952 में इन्दू प्रकाश सिंह का आईएएस की दूसरी रैंक में सिलेक्शन क्या हुआ मानो यहां के युवाओं में खुद को साबित करने की होड़ लग गई. आईएएस बनने के बाद इन्दू प्रकाश सिंह फ्रांस सहित दुनिया के कई देशों में भारत के राजदूत रहे.इस गांव के चार सगे भाइयों ने आईएएस बनकर जो इतिहास रचा है वह आज भी भारत में एक रिकॉर्ड है. इन चारों सगे भाइयों में सबसे पहले 1955 में आईएएस की परीक्षा में 13वीं रैंक प्राप्त करने वाले विनय कुमार सिंह का चयन हुआ. विनय सिंह बिहार के मुख्यसचिव पद तक पहुंचे.


सन् 1964 में उनके दो सगे भाई क्षत्रपाल सिंह और अजय कुमार सिंह एक साथ आईएएस अधिकारी बने. क्षत्रपाल सिंह तमिलनाडू के प्रमुख सचिव रहें, आईएएस श्री अजय कुमार सिंह उत्तर प्रदेश के नगर विकास के सचिव रह चुके है. विनय सिंह भाई के चौथे भाई शशिकांत सिंह 1968 आईएएस अधिकारी बने.इनके परिवार में आईएएस बनने का सिलसिला यहीं नहीं थमा. 2002 में शशिकांत के बेटे यशस्वी न केवल आईएएस बने बल्कि इस प्रतिष्ठित परीक्षा में 31वीं रैंक हासिल की. इस कुनबे का रिकॉर्ड आज तक कायम है।
इसके अलावा इस गांव की आशा सिंह 1980ं बैच, उषा सिंह 1982 बैच, कुंवर चद्रमौल सिंह 1983 बैच और उनकी पत्नी इन्दू सिंह 1983 बैच, इंदु प्रकाश के बेटे अमिताभ और उनकी पत्नी सरिता, 1984 बैच की आईएएस अधिकारी हैं.ऐसा नहीं है कि केवल यहाँ से आईएएस अधिकारी ही निकले है. पीसीएस अधिकारियों की तो यहां पूरी फौज है. इस गांव के राममूर्ति सिंह, विद्याप्रकाश सिंह, प्रेमचंद्र सिंह, पीसीएस महेन्द्र प्रताप सिंह, जय सिंह, प्रवीण सिंह और उनकी पत्नी पारुल सिंह, रीतू सिंह अशोक कुमार प्रजापति, प्रकाश सिंह, राजीव सिंह, संजीव सिंह, आनंद सिंह, विशाल सिंह व उनके भाई विकास सिंह, वेदप्रकाश सिंह, नीरज सिंह पीसीएस अधिकारी बने चुके थे.


2013 की परीक्षा के आए रिजल्ट में इस गांव की बहू शिवानी सिंह ने पीसीएस परीक्षा पास करके इस कारवां को और आगे बढ़ाया है.इस गांव के अन्मजेय सिंह विश्‍व बैंक मनीला में, डॉक्‍टर नीरू सिंह, लालेन्द्र प्रताप सिंह वैज्ञानिक के रूप भाभा इंस्टीट्यूट तो ज्ञानू मिश्रा इसरो में सेवाएं दे रहे हैं। यहीं के रहने वाले देवनाथ सिंह गुजरात में सूचना निदेशक के पद पर तैनात हैं.

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ईद से पहले पाकिस्तान में मचा हाहाकार, महंगाई ने तोड़ी जनता की कमर



ईद से पहले पाकिस्तान की जनता को झटका लगा है। पाकिस्तान में महंगाई ने आसमान छू लिया है। खाने-पीने के चीजों से लेकर रोजमर्रा के सामान तक, पाकिस्तान की जनता बढ़ते दामों से परेशान है। अब पाकिस्तान में हवाई सफर भी महंगा हो गया है।  हवाई सफर में 41 फीसदी की बढ़ोतरी बता दें कि पाकिस्तान की कंपनियों ने हवाई किराए में 41 फीसदी की बढ़ोतरी की है। इन कंपनियों में पड़ोसी मुल्क की सरकारी विमान सेवा प्रदाता पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) समेत अन्य कई कंपनियां शामिल हैं। दरअसल डॉलर के मजबूत होने से और हवाई ईंधन के दाम बढ़ने से किराये में यह बढ़ोतरी की गई है।

पीआईए का लाहौर से कराची आने-जाने का विमान किराया 31 हजार रुपये हो गया है, जबकि एयरब्लू का किराया 32,500 रुपये है। वहीं सेरेना एयर पाकिस्तान का किराया अब 39,500 रुपये है। पहले यह किराया करीब 28 हजार रुपये था। ईद से पहले हुई बढ़ोतरी से पाकिस्तान की जनता के लिए परेशानी बन गई है।  दूध के दाम 180 रुपये प्रति लीटर इसके अलावा खाने-पीने की वस्तुएं भी महंगी हुई हैं। दूध का दाम 180 रुपये प्रति लीटर हो गया है। इससे जहां एक तरफ बच्चों को दूध नहीं मिल रहा है, वहीं चाय की चुस्की भी लोगों को मय्यसर नहीं हो पा रही है। सेब चार सौ रुपये प्रति किलो और मटन 1100 रुपये प्रति किलो की दर से मिल रहा है। इससे लोगों की कमर टूट गई है।


खाने-पीने की चीजें भी हुई महंगी रमजान के महीने में खाने-पीने की इन चीजों की ज्यादा मांग है, इसलिए लोग परेशान हैं। मार्च के मुकाबले मई में प्याज 40 फीसदी, टमाटर 19 फीसदी और मूंग की दाल 13 फीसदी ज्यादा कीमत पर बिक रही हैं। गुड़, शक्कर, फल्लियां, मछली, मसाले, घी, चावल, आटा, तेल, चाय, गेंहू की कीमतें 10 फीसदी तक बढ़ गई हैं। लोग कर रहे सरकारी नीतियों को विरोध पाकिस्तान की जनता में महंगाई को लेकर काफी रोश है। लोग सोशल मीडिया पर खुलकर सरकार की नीतियों को विरोध कर रहे हैं। बाजार पर रिसर्च करने वाली स्थानीय संस्थाओं के मुताबिक ऑटो, सीमेंट और फार्मास्यूटिकल्स जैसे उद्योगों के कच्चे माल के आयात की कीमतें बढ़ेंगी। इससे उपभोक्ता पर भार बढ़ेगा। एक रिसर्च सेंटर का कहना है कि अब इस स्थिति पर रोक लगनी चाहिए।  29 फीसदी कमजोर हुआ पाकिस्तानी रुपया व्यापारियों का बाजार पर से विश्वास उठ रहा है। पाकिस्तानी रुपया मई में 29 फीसदी कमजोर हुआ है। इसके साथ ही यह एशिया की 13 अहम मुद्राओं में सबसे कमजोर मुद्रा बन गई है। एक डॉलर का मूल्य करीब 150 पाकिस्तानी रुपये हो गया है।

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जानें प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से संपर्क करने के 4 तरीकों के बारे में



हर नागरिक को अपने प्रधानमंत्री से मिलने का अधिकार हैl भारत के कई नागरिक अलग-अलग मुद्दों, विचारों, सुझावों एवं शिकायतों पर बातचीत करने के लिए प्रधानमंत्री से संपर्क करना चाहते हैंl हम सब यह जानते हैं कि प्रधानमंत्री संघीय कार्यपालिका का प्रमुख और मंत्रिपरिषद का प्रधान होता हैl इसलिए भारत में प्रधानमंत्री का पद काफी महत्वपूर्ण हैl


नरेंद्र मोदी भारत के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में से एक हैं, जिन्होंने 16वीं लोकसभा चुनाव में अपार बहुमत हासिल की थीl बहुत ही कम समय में वह भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों के लोगों के दिलों में जगह बनाने में सफल हुए हैंl लोगों के बीच उनकी बढ़ती लोकप्रियता के कारण आज भारत का हर नागरिक प्रधानमंत्री से संपर्क साधने का इच्छुक हैl
Source:www.media2.intoday.inकुछ समय पहले तक भारत के किसी आम नागरिक के लिए प्रधानमंत्री से मिलना या उनसे सीधे संपर्क स्थापित करना आसान नहीं था, परन्तु नई तकनीकों के माध्यम से मोदीजी ने इसे आसान बना दिया हैl अतः लोगों की आकांक्षा को पूरा करने एवं जनता के साथ सीधा संपर्क स्थापित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री कार्यालय ने कई ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यमों की शुरूआत की हैl लेकिन इसके बारे में सभी लोगों को विस्तृत जानकारी नहीं हैl अतः इस लेख में हम उन तरीकों की जानकारी दे रहें हैं जिसके माध्यम से आप मोदीजी से संपर्क स्थापित कर सकते है और उन तक अपनी बातों को पंहुचा सकते हैंl
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से संपर्क करने के 4 तरीके 1.प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट पर जाकर या पत्राचार के माध्यम से आप नरेन्द्र मोदी से संपर्क कर सकते हैं

PMO office
Source: www.images.indianexpress.comअगर आप प्रधानमंत्री से कुछ पूछना या कहना चाहते हैं तो आप नीचे दिए गए तरीकों के माध्यम से उनसे संपर्क कर सकते हैं:(a) आप प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट पर जाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संपर्क कर सकते हैंl प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट http://pmindia.gov.in/en/interact-with-honble-pm/ पर जाकर आप सीधे प्रधानमंत्री से संपर्क कर सकते हैंl इस वेब पोर्टल का निर्माण प्रधानमंत्री कार्यालय के स्टाफ द्वारा नरेंद्र मोदीजी के साथ बातचीत हेतु भारत की जनता के लिए तैयार किया गया हैl आप दिए गए लिंक पर क्लिक कर लॉग इन करने के बाद अपने आप को प्रधानमंत्री कार्यालय से संपर्क करने के लिए पंजीकृत भी कर सकते हैंl (b) आप अपने प्रश्नों के उत्तर के लिए आरटीआई भी फाइल कर सकते हैं।आरटीआई एक्ट 2005 के तहत भी आप अपने प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर सकते हैंl इसके लिए आपको ऑनलाइन या ऑफलाइन एक आवेदन भरना होगा, जिसके साथ आपको 10 रूपए नकद या “सेक्शन ऑफिसर, पीएमओ” के पक्ष में डिमांड ड्राफ्ट जमा करना होगाl


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संपर्क को आसान बनाने के लिए प्रधानमंत्री की तकनीकी टीम द्वारा एंड्रॉइड, विंडोज और आईओएस तीनों माध्यमों में मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया गया हैl आप अपने मोबाइल फोन पर इन ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं और नरेंद्र मोदी के कार्यों से संबंधित समाचार और अपडेट प्राप्त कर सकते हैंl इस ऐप के माध्यम से आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ब्लॉग को भी पढ़ सकते हैंl
3. आप फैक्स (Fax) के माध्यम से भी संपर्क कर सकते हैl आप 0091-11-23019545 या 0091-11-23016857 नंबर पर फैक्स भी कर सकते हैं और अपनी समस्या या सुझाव प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचा सकते हैंl यदि वास्तव में आपका फैक्स महत्वपूर्ण है तो आपको उसका उत्तर भी दिया जाएगाl 4. आप सोशल मीडिया / ई-मेल के माध्यम से भी प्रधानमंत्री से संपर्क कर सकते हैंl
Source:www.d152j5tfobgaot.cloudfront.net.com(a) ईमेल के माध्यम सेआप प्रधानमंत्री मोदी को narendramodi1234@gmail.com पर ईमेल भी भेज सकते हैं। यह जानकारी DIGIlOCKER की वेबसाइट पर दी गयी है, साथ ही उनकी एंड्राइड ऐप के पेज पर भी है।(b) यू ट्यूब (Youtube Channel) के द्वाराआप अपनी बात को मोदीजी तक यू ट्यूब के जरिये भी पंहुचा सकते हैंl इसके लिए यू ट्यूब चैनल पर ‘Send Message’ के विकल्प को चुनना होगाl इसके माध्यम से आपका प्रश्न मोदीजी तक पहुंच जाएगाl

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चीन और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चुनाव लड़ने की हो रही है तैयारी, जानिए पूरा प्लान

जम्मू-कश्मीर में कुल 111 विधानसभा क्षेत्र हैं, लेकिन इनमें से 87 पर ही भारतीय चुनाव आयोग वोटिंग कराता है. पाक और चीन के कब्जे वाले हिस्से की 24 विधानसभा सीटें रिजर्व रखी गई हैं. बीजेपी ने इन पर चुनाव कराने का ये फॉर्मूला तैयार किया है.
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने लोकसभा चुनाव 2019 में प्रचंड जीत को देखते हुए जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है. बीजेपी जम्मू-कश्मीर में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने की ताक में है. लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि बीजेपी ने पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में चुनाव लड़ने की तैयारी में है. इसके लिए बीजेपी ने एक खास किस्म का चुनाव अभियान लॉन्‍च करने वाली है. यहां तक कि बीजेपी ने मन बना लिया है कि वो भारतीय चुनाव आयोग (ECI) से आग्रह करेगी कि पीओके की 24 रिजर्व सीटों में कम से कम आठ पर चुनाव कराएं.
जम्मू-कश्मीर में कुल 111 विधानसभा क्षेत्र हैं, लेकिन इनमें से 87 पर ही भारतीय चुनाव आयोग चुनाव कराता है. पाक व चीन अधिकृत कश्मीर की 24 विधानसभा सीटें रिजर्व रखी गई हैं. ऐसा माना जाता है कि जब यह क्षेत्र भारत को वापस मिलेगा तो इन 24 सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे. साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में कुल 87 सीटों में पीपुल्स डेमोक्रे‌टिक पार्टी (PDP) ने 28, बीजेपी ने 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने 15, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने 12 व दूसरी छोटी पार्टियों व निर्दलीय उम्मीदवारों ने सात सीटें जीती थीं.इसके बाद बीजेपी और पीडीपी ने चुनाव बाद गठबंधन कर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में सरकार बनाई थी, लेकिन साल 2018 में बीजेपी ने पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया और अब दिसंबर तक जम्मू-कश्मीर में फिर से विधानसभा होने की सुगबुगाहट है.


जम्मू-कश्मीर में फिलहाल 87 सीटों पर चुनाव होते हैं. इनमें 46 कश्मीर डिवीजन में आती हैं, जबकि 37 सीटें जम्मू और चार सीटें लद्दाख डिवीजन में हैं. इसके अलावा दो अन्य सीटों पर प्रतिनिधि नामांकित किए जाते हैं.
पीओके में चुनाव की स्थिति: असल में जम्मू-कश्मीर का पूरा क्षेत्र 111 सीटों वाला है, 24 विधानसभा क्षेत्रों पर भारतीय इलेक्‍शन कमीशन चुनाव नहीं कराता. इन 24 विधानसभा क्षेत्रों पर चीन और पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है.
क्या है बीजेपी का आग्रह: बीजेपी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के अलावा चीन अधिकृत हिस्से के 24 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव आयोग से कुल 24 में से आठ पर ही चुनाव कराने का आग्रह करेगी.असल में हालिया लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर की कुल छह सीटों में तीन सीटों जी विजय हासिल की है. इनमें सबसे अहम बात ये है कि बीजेपी को घाटी में ज्यादा वोट मिले हैं. बीजेपी को सबसे ज्यादा ट्राल विधानसभा क्षेत्र में मिला है, जो दक्षिणी अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र के अंतरगत आता है.
यहां तक पाकिस्तान सटे कई इलाकों में चुनाव का ब‌हिष्कार हुआ था, इसलिए इस क्षेत्र में केवल 1.14 फीसदी ही वोट पड़े थे. इनमें कुल 1019 लोगों ने वोट डाला. लेकिन इतनी कम वोटिंग में भी बीजेपी को सबसे ज्यादा 323 व एनसी को 234 वोट मिले थे.
क्या है प्लान, एम फॉर्म से होंगे पीओके में चुनाव?


के अनुसार पाक अधिकृत कश्मीर के निवासी एक तिहाई से ज्यादा लोग एलओसी के इस पार प्रवास कर चुके हैं. ऐसे में अगर वहां के मतदाता इस पार आ रहे हैं तो क्यों नहीं उन्हें मतदान का मौका दिया जाए. इसके लिए बीजेपी ने ‘एम फॉर्म’ की व्यवस्‍था सुझाई है.
पीओके में चुनाव का इतिहास: भारत की आजादी से पहले और आजादी वक्त तक कश्मीर राजा हरिसिंह की रियासत हुआ करती थी. लेकिन बंटावारे के समय भूभाग को लेकर विवाद हो गया. बाद में जब जम्मु कश्मीर विधानसभाओं का परिसीमन हुआ तो पाकिस्तान और चीन ने भारत के 24 विधानसभा क्षेत्रों को कब्जा कर चुके थे. तब इलेक्‍शन कमीशन ने इन 24 विधानसभा क्षेत्रों को रिजर्व रखा है.
पीओके के नागरिक मांगते हैं अपना प्रतिनिधि: जब जम्मु कश्मीर में धारा 370 और 35A लगने के बाद चुनावों की शुरुआत हुई. लेकिन इनमें पीओके में रहने वालों का कोई प्रतिनिधित्व शामिल नहीं हो पाया. बाद में पीओके में रहने वाले लोग हिंसा से बचने के लिए घाटी में आकर रहने लगे. अब वे अपने अधिकारों के लिए लगातार अपने बीच के लोगों में से कुछ लोगों का प्रतिनिधित्व मांगते हैं. बीजेपी इसके लिए एक प्लान लेकर आ रही है.

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