समाज दरिपल्ली रमैया को देखकर हंसता था,आज वे दुनिया के लिए आदर्श बन गए

Daripalli Ramaiyaa | दरिपल्ली रमैया

हमारे देश में महान और कर्तव्यनिष्ठ लोगों की कोई कमी नहीं है,लेकिन दुख तब होता है जब हम ही लोग इन जैसे महान व्यक्तियों का प्रोत्साहन करने के बजाय इनका हास्य बना लेते हैं|

Daripalli Ramaiyaa | दरिपल्ली रमैया
आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे व्यक्ति की जिसने आने वाली पीढ़ी के लिए शुद्ध हवा की व्यवस्था कर दी है.
तेलंगाना राज्य के खम्मम जिले के गांव में रहते हैं दरिपल्लि रमैया.एक साधारण शख्स से महान शख्सियत बनने का जो उनका सफर है वो काबिलेतारीफ है.रमैया जी ने अपने जीवन में वो कर दिखाया जो लगभग असंभव सा लगता है.उनके किए गए कार्य शायद ही कोई संस्था या सरकार कर पाए.
आज तेलंगाना की धरती पर करोड़ों पेड़ लगाकर उन्होंने तेलंगाना की धरती को धन्य कर दिया है,और वे अभी रूके नहीं है,वे अपने इस महान कार्य में आज भी लगे हुए हैं.जहाँ एक ओर पूरी दुनिया में पेड़ों को जरूरतवश काटा जा रहा है वही दूसरी ओर रमैया जी का ये कार्य किसी वरदान से कम नहीं है.

दरिपल्ली रमैया Daripalli Ramaiyaa

आने वाली पीढ़ी अगर रमैया को प्रकृति पुरुष नाम से संम्बोधित करे तो गलत नहीं होगा.वैसे इनको चेतला रमैया नाम से बुलाया जाता है.
रमैया जी ने अपना पूरा जीवन केवल पेड़ों को लगाने में लगा दी, और आज इनकी उम्र 70 साल है,और आज भी रमैया जी अपने काम को बखूबी से अंजाम दे रहे हैं.रमैया जी को कही भी खाली या बेकार पडीं जमीन दिखती वो वहां पेड़ लगा आते.इनके बारे में यह भी कहा जाता है कि ये जब भी किसी शादी या सालगिरह पर जातें हैं तो वहाँ दूल्हा- दुल्हन को उपहार स्वरूप पेड़ पौधे दे आते हैं.उनका पेड़ पौधों के प्रति ये जुनून ही आज उनकी पहचान बन गया है और अब इसी जुनून ने उनको प्रसिद्धि भी दिला दी है.

रमैया जी को शुरू में पेड़ पौधों की इतनी जानकारी नहीं थी,फिर वे अपनी जानकारी बढाने के लिए लाइब्रेरी जाया करते और वहाँ पेड़ों से संबंधित किताबें पढ़ते और जानकारी इकट्ठा करते.
जब शुरू में रमैया अपनी सायकिल पर बीज, पौधे वगैरह लेकर निकलते थे तो आसपास के लोग उनका मजाक उड़ाया करते थे,लेकिन आज वही लोग उनका दिल से सम्मान करते हैं.

दरिपल्ली रमैया Daripalli Ramaiyaa
रमैया जी को अपने इस महान कार्य के लिए राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया है.और अब पूरी दुनिया उनका सम्मान करती है.
रमैया जी अपने गाँव में दो कमरों के मकान में अपनी पत्नी जन्ममा के साथ साधारण तरीके से रहते हैं.
हम और हमारी आने वाली पीढ़ी सदैव रमैया जी की शुक्रगुज़ार रहेगी

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