हेलो दोस्तों आप सभी कभी ना कभी गोवा गए तो होंगे या गोवा जाने की प्लानिंग तो कर ही रहे होंगे। वैसे गोवा जैसी जगह कौन नहीं जाना चाहेगा, आज की युवा पीढ़ी की पहली पसंद है गोवा।
तो दोस्तों आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ गोवा के कुछ अनछुए पहलू। वैसे गोवा जाने का बैस्ट टाइम होता है अक्टूबर से मार्च और दुनिया भर के लोग उसी समय गोवा जाना पसंद करते हैं। और जून से अगस्त यानि मानसून के समय गोवा का सीज़न आफ होता है, मतलब इस समय वहाँ बहुत कम ही लोग जाते हैं, कारण इस दौरान वहाँ बहुत बारिश होती है, ज्यादातर बीच बंद हो जाते हैं, क्लब, मार्केट, और एंटरटेनिंग एक्टिविटी भी लगभग बंद ही रहती है। जब लोग ही नहीं होंगे तो गोवा में ग्लैमर कहाँ से आएगा जिसको देखने आप और हम जाते हैं।
लेकिन अभी कुछ दिन पहले मैने गोवा जाने का प्लान बनाया, और फिर लोगों से पूछना चालू किया, इंटरनेट पर सर्च किया, सभी लोगों ने और इंटरनेट पर भी इस समय ( मानसून ) वहाँ जाने के लिए मना ही किया, लेकिन हम ठहरे मनमौजी किस्म के इंसान , तो मैने सोचा कि क्यों ना कुछ अलग किया जाए, फिर क्या था उठाया फोन और कर डाली गोवा की ट्रेन की टिकट। चूंकि मानसून सीजन है तो ए सी की जगह स्लीपर की ही टिकट करवा ली जो कि एक समझदारी वाला फैसला भी रहा, पैसे भी बचे और मजा भी आया।
भाई लोगों जब मैने टिकट करवा दी तो सभी यही बोल रहे थे कि इस समय तुम बेकार जा रहे हो, लेकिन मैं कुछ एडवेंचर पंसद इंसान हूँ, लोग जितना मना कर रहे थे मेरा मनोबल उतना ही बढ़ रहा था।
तो भाई में 4 जुलाई को बैग लेके निकल गया ( दिल्ली से )और 6 जुलाई को गोवा की जमीन पर पैर रख दिया जो कि गीली थी। अब समय आ गया था ये देखने का कि मेरा फैसला सही था या गलत। बारिश तो महाराष्ट्र आते ही शुरू हो गई थी, मौसम एकदम रंगीन था। मैं पूरे समय ट्रेन की खिड़की पर ही चिपका रहा।
तो फिर मैं 6 जुलाई को सुबह 12 बजे गोवा ( थिविम रेल्वे स्टेशन ) पहुंच गया, उपर काले बादल और ठंडी हवा चल रही थी। उफ्फ क्या मौसम था। फिर वहाँ से आटो पकड़ के कलंगुड बीच पहुँच गया। मानसून में नार्थ गोवा ही खुला रहता है, इसलिए इस समय कंलगुड, बागा, कंडोलिम, अंजुना बीच जाना ही बेहतर रहता है, जहाँ कुछ लोग मिल जाएंगे आपको।
मैने घर से निकलने से पहले ही होटल बुक कर लिया था चार दिन तीन रात के लिए। जब मैं कंलगुड स्थित अपने होटल पहुंचा तो चौंक गया, इतने कम पैसे में इतना शानदार होटल, अरे वाह मजा आ गया, भाई आफ सीज़न में जो गया था, बढियां होटल भी सस्ते मिलने ही थे। मैने होटल 1400 एक दिन के हिसाब से बुक किया था, जब मैने वहाँ पता किया तो पता चला कि मानसून के बाद यहाँ यही कमरा आपको 3500 से कम नहीं मिलेगा, ये सुनकर लगा मानो मेरी लाटरी सी लग गई हो। मानसून में गोवा आने के फायदे मुझे मिलना शुरू हो चुके थे।
ये तो रही होटल की बात, होटल से फ्री होके मैं कंलगुड की तरफ पैदल निकल लिया और फिर हल्की बूंदाबांदी शुरू हो गई, मार्केट खुले हुए थे, बारिश की वजह से लोग भी कम थे। फिर एक रेस्टोरेंट में हल्ला फुल्का खाना खाया जो कि सस्ता भी था और समय के मुकाबले। फिर मैं निकल लिया कंलगुड बीच की तरफ, बारिश से बचता बचाता।
बीच पर पहुँचने पर वहा का अलौकिक नजारा देख में रोमांचित हो उठा। उपर घने काले बादल और नीचे उफान लेता समुद्र। मानसून के दौरान समुद्र की लहरें ज्यादा ऊंची उठती है इसलिए वहाँ कोस्ट गार्ड बार बार एनाउसमेंट कर रहे थे कि समुद्र के अंदर ना जाए और ऐसा करने पर जुर्माने का प्रावधान भी था। भीड़ कम थी जिससे वहाँ घूमने में भी आसानी हो रही थी और माहौल तो एकदम फिल्मों वाला था। तेज हवाएँ चल रही थी, रूक रूक कर तेज बारिश हो रही थी, लहरें तेजी से हमारी तरफ़ आके लौट जा रही थी, भाई मैंने समुद्री बीच का इतना रोमांटिक माहौल पहले कभी नहीं देखा। बीच पर रैस्टोरेंट भी खुले हुए जहाँ बीयर, वोडका, सबकुछ मिल रहा था वो भी और दिनो से सस्ते में।
मैने ऐसे ही बाकी के बीचों पर गया, बागा, अंजुना, वागाटोर बीच, सभी जगह माहौल रंगीन और भीगाभीगा सा था। सायंकालीन बाजारों में अच्छी रौनक थी लोग कम थे इसलिए बाजार घूमने में मजा भी आ रहा था। हर जगह डिस्काउंट मिल रहा था। कुछ एक डांस क्लब भी खुले हुए थे लेकिन वहाँ कुछ ही लोग बैठे हुए थे तो मैं वहाँ रूका ही नहीं क्योंकि क्लब जैसी जगहों पर तो भीड़ से ही मजा आता है। और अगर आप कैसिनो के शौकिन है तो आपको पणजी जाना पड़ेगा जो वहाँ से केवल 12 किलोमीटर की दूरी पर है। लोकल राइडिंग के लिए आपको स्कूटी, बाइक आराम से मिल जाएंगी जिनका किराया मात्र 350 रूपये दिन का है।
अब मैं बात करता हूँ मानसून में गोवा जाने के फायदे और नुकसान के बारे में:
फायदे – सस्ते होटल एंव सस्ता खाना, ठंडा मौसम, बारिश का मजा, बीच के शानदार नजारे, ट्रैफिक भी कम, बाजार की शापिंग भी सस्ती, कुल मिलाकर एडवेंचरफुल एक्सपिरियन्स।
नुकसान – डांस क्लब, नाइट क्लबों में एक्टिविटी कम मिलेगी, वाटर एक्टिविटी नहीं मिलेगी।
मानसून में कहाँ जाया जा सकता है – मानसून में नार्थ गोवा जाना बेस्ट है। कंलगुड, बागा, कंडोलिम, अंजुना, वागाटोर, फोर्ट अंगुंडा जाना बेहतर है।
अब कुल मिलाकर मेरी राय यही है कि अगर आप भी गोवा जाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो मानसून के सीज़न में जाएं, सस्ता भी लक्जरी भी।
कैसे जाएं – नार्थ गोवा का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है ” थिविम “। थिविम के लिए आपको देश कहीं से भी रेल आराम से मिल जाएंगी, या फिर आप हवाई जहाज से भी आ सकते हो।
सावधानी – मोबाइल, पर्स पोलिथिन में कवर करके रखें, रैनकोट साथ में लेके चलें जो वहाँ आराम से मिल भी जाएंगे।
ठहरना – ठहरने के लिए आपको कंलगुड, कंडोलिम, बागा एरिये में सभी तरह के होटल मिल जाएंगे। मंहगे, सस्ते, अच्छे।